कौन हूँ मैं ,
क्या शक्शियत है हमारी ,
खुद को नहीं पहचानता ,
तो कैसे जानूंगा ये दुनिया सारी.
लोगो को तो देखा बहुत ,
कभी खुद पर नजर न डाली ,
लोगो की मानी बहुत ,
कभी अपने dil की ना मानी ,
क्या हस्ती है मेरी ,
क्या हसरत है हमारी ,
हाजत है क्या तेरी दीवाने ,
माल दौलत या बंगला गाड़ी ,
क्या शक्शियत है हमारी ,
खुद को नहीं पहचानता ,
तो कैसे जानूंगा ये दुनिया सारी.
लोगो को तो देखा बहुत ,
कभी खुद पर नजर न डाली ,
लोगो की मानी बहुत ,
कभी अपने dil की ना मानी ,
क्या हस्ती है मेरी ,
क्या हसरत है हमारी ,
खुद को नहीं पहचानता ,
तो कैसे जानूंगा ये दुनिया सारी
माल दौलत या बंगला गाड़ी ,
क्या कीमत है इन सबकी ,
सब सिफर है , सब बाज़ारी
समय के साथ सबकुछ चले ही जाना है ,
क्या रह जाएगा हाथ में, अनाड़ी ,
खुद का पता नहीं तो ,
कैसे जानेगा ये दुनिया सारी.
सोचो बैठो विचार करो ,
कभी दिल की भी पुकार सुनो,
कहना चाहता है बहुत कुछ ये तुझसे,
कभी इसका भी ऐतबार करो ,
क्या पता कुछ हाथ लग जाए,
जिंदगी में कुछ करने का जज्बा मिल जाए,
तभी पहचानोगे खुद की शक्शियत ,
और तुम्हारे कदम चूमेगी ये दुनिया सारी .........
loved it. really appreciable
ReplyDeleteThanks azhar bhai, and thanks for your suggestions and support too !!!
ReplyDeleteMain Shayar to nahi .......Magar ye Haseen .....Jabse dekha maine tujhko ......mujhko ........Shayari .......aa gayi.......
ReplyDeletenice one.......:)!!!
lucknowi babus have poetry in their blood... sahi kaha tha na!!
ReplyDeletebeautiful.keep it up. :)
thanks preeti !!!
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