कौन हूँ मैं ,
क्या शक्शियत है हमारी ,
खुद को नहीं पहचानता ,
तो कैसे जानूंगा ये दुनिया सारी.
लोगो को तो देखा बहुत ,
कभी खुद पर नजर न डाली ,
लोगो की मानी बहुत ,
कभी अपने dil की ना मानी ,
क्या हस्ती है मेरी ,
क्या हसरत है हमारी ,
हाजत है क्या तेरी दीवाने ,
माल दौलत या बंगला गाड़ी ,
क्या शक्शियत है हमारी ,
खुद को नहीं पहचानता ,
तो कैसे जानूंगा ये दुनिया सारी.
लोगो को तो देखा बहुत ,
कभी खुद पर नजर न डाली ,
लोगो की मानी बहुत ,
कभी अपने dil की ना मानी ,
क्या हस्ती है मेरी ,
क्या हसरत है हमारी ,
खुद को नहीं पहचानता ,
तो कैसे जानूंगा ये दुनिया सारी
माल दौलत या बंगला गाड़ी ,
क्या कीमत है इन सबकी ,
सब सिफर है , सब बाज़ारी
समय के साथ सबकुछ चले ही जाना है ,
क्या रह जाएगा हाथ में, अनाड़ी ,
खुद का पता नहीं तो ,
कैसे जानेगा ये दुनिया सारी.
सोचो बैठो विचार करो ,
कभी दिल की भी पुकार सुनो,
कहना चाहता है बहुत कुछ ये तुझसे,
कभी इसका भी ऐतबार करो ,
क्या पता कुछ हाथ लग जाए,
जिंदगी में कुछ करने का जज्बा मिल जाए,
तभी पहचानोगे खुद की शक्शियत ,
और तुम्हारे कदम चूमेगी ये दुनिया सारी .........